Friday, September 26, 2008


बारिश और मैं, दोनों एक जैसे हैं,


रोते हैं, तड़पते हैं, सिसकते हैं, मचलते हैं,


बून्द बून्द दर्द का खामोशी से अपनी रगों में उत्तार लेते हैं,


और फ़िर मुस्कुरा कर चुपके से dhoop की चादर ओढ़ लेते हैं॥


हाँ शायद , बारिश और में दोनों एक ही जैसे हैं!

1 comment:

ACHARYA RAMESH SACHDEVA said...

WAH.
EK ANTAR H.
BARISH APNE PODHO (PLANTS) KO NAHLA JATI H TARO TAJA KAR JATI H AUR HUM SAB KA RONA PANI KI JARURAT KO BADHA DETA H.
RAMESH SACHDEVA
DIRECTOR
HARYANA PUBLIC SCHOOL
MANDI DABWALI - 125104
rkshps@in.com