Thursday, August 28, 2008

तुम्हारी आँखे


सूरज की पहली कीरों से खुलती..नींद की लालच में सुस्ताती आँखें..
ग़म से थकान से भर आती कभी..कभी किसी की याद में आन्सो झलकती आँखें..
कहने को देख लेती सब कुछ..कभी फरेब और सच को पहचान नहीं पाती आँखें..
दिल का आएना है ये..प्यार को छुपा नहीं पाती आँखें..
ख़ुद में डूब जाने को मजबूर करती..कभी दिल को घायल कर जाती आँखें..
चलते चलते मिल जाती किसी से..किसी अजनबी हमसफ़र को अपना बना लेती आँखें..
जो सामने है उस मोह्हबत को करती अनदेखा..और बिछडे हुए प्यार को फिर से ढूँढती आँखें..
बंद कर लो तो सब कुछ दिखा देती..खुलते ही सब कुछ धुन्दला कर देती आँखें..
जिंदगी की दौड़ धुप में आख़िर..एक दिन सदा की लिए बंद हो जाती आँखें॥

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